Wednesday, July 28, 2010

योगी में पगली

न तुम्हारा
कोई
ठिकाना
योगी,
न कोई
अपना
पगली का....

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योगी में पगली

पगली में समा गए योगी!!!!


की  थी
पगली  ने
जब  
गुहार  
कर  रहें
हैं
योगी  

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पगली में समा गए योगी!!!!

अब कहाँ योगी ...

क्या
टूट गया
नाता
योगी-पगली का
क्यूँ 

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अब कहाँ योगी ...

आज पगली को चैन है …


आहा!!
सुनो  
पगली  झूमे  है  
योगी  ने  कहा
चंद्रिकेआज  भी  है
बस
इतना  भर  ही  

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आज पगली को चैन है …

कहीं पगली खो न जाए

क्या
“चंद्रिके”
अनंतकाल में
विलीन
हो गई
योगी …
कैसे जानू?
पढ़ती हूँ 

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कहीं पगली खो न जाए

'योगी भूल गए ?'


वो  चाँदनी  रात  जब  हुआ  मेरा  तुम्हारा  मिलन  
पुरुष    प्रकृति  का  असामान्य  अनोखा  लगन  
पुरुष  को  प्रकृति  की  चाहपर, नहीं  कोई  चाह  

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‘जन्मदिन की बधाई’-- पगली

जन्मदिन की अग्रिम बधाई’
कहा योगी ने,
कहीं जाना है
देरी हो जाएगी
शायद बात न हो पाए....
योगी
पगली हूँ!
पगली ही समझते हो... 

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‘जन्मदिन की बधाई’-- पगली

मौन समर्पण


पगली  को  
वक़्त  ने  नहीं  
योगी  ने  
दूर  
किया  

वक़्त  ने  
तो  
जतन  

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मौन समर्पण

'तुम्हे सुनना है'--पगली

तुम्हे सुनना है!
कितने मीठे
शब्द हैं
कर्णमार्ग
से मेरे
ह्रदय में
समा जाते
हैं
योगी
के

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'तुम्हे सुनना है'--पगली

ये पगली बहुत सुंदर लगती है


क्यूँ
करता  है  
मन
हरपल
ध्यान
क्यूँ
हटती
वो  छवि
नैनों  से…..
बैठी  हूँ
प्रभु  भक्ति  को


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ये पगली बहुत सुंदर लगती है

क्षमा.... है, पगली का कहना

आह
ये
पगली
क्या
कर बैठी
क्यूँ
भावों को
स्वर
दे बैठी .
बैठी थी
प्रभु चरणों में ...
क्या करती 

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क्षमा.... है, पगली का कहना

"मिलने आएगा कभी …”-- संदेसा पगली को



आया
पगली को
संदेसा
"मिलने आएगा कभी
योगी आपसे"
मन मयूर झूम उठा
पगली का
 

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"मिलने आएगा कभी …”-- संदेसा पगली को

कहती है ये पगली "'मैं जीवित हूँ"

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बैठी थी
यूँ
पगली
गुमसुम
नहीं भान था
सगरे जग का
बस
था तो
योगी का
ध्यान...


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कहती है ये पगली "'मैं जीवित हूँ"

है पगली मुस्काई


है 
पगली 
मुस्काई 
लहर  सी
है
आई
वो खोली
पुरानी पाती

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है पगली मुस्काई 

ये पगली मौन रहेगी!

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मैं पगली!
अनंत काल से
मैं पगली हूँ.

वो योगी
जिसकी थी
मैं,
मेरा रोम-रोम. 
...............

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ये पगली मौन रहेगी!