Wednesday, July 28, 2010

योगी में पगली

न तुम्हारा
कोई
ठिकाना
योगी,
न कोई
अपना
पगली का....

..पढ़ने के लिए क्लिक करें 
योगी में पगली

12 comments:

Dinesh said...

Bahut sundar rachna. nice one.

Jyoti said...

एक पगली को दूसरी पगली का नमस्कार स्वीकार हो

सुन्दरतम कविता

सहज समाधि आश्रम said...

ब्लाग पर आना सार्थक हुआ ।
काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति ।
आपको दिल से बधाई ।
ये सृजन यूँ ही चलता रहे ।
साधुवाद...पुनः साधुवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com

Jyoti said...

नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

akhilesh pal said...

keya khoob

Anonymous said...

कुछ नया और हटकर पढने को मिला

मेरे भाव said...

रहो
कहीं भी
योगी
पगली को

विलग
कर पाओगे
उसका एक
अंश
सदा
अपने में
पाओगे,.......

krishan aur meera ki yaad dila gai rachna. aabhar

virendra sharma said...

sundar rachnaa !
veerubhai

prritiy----sneh said...

sabhi ko dil se dhanyawad.

संजय भास्‍कर said...

बेहद खूबसूरत

Unknown said...

Bahut sundar... lik se hatkar likhne ke liye badhai... likhte rahiye...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

रूमानी जज्‍बों से सराबोर रचना...

शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।